रोहतास पत्रिका/लखीसराय: रसगुल्ले का व्यापार करने वाले व्यापारी अब पटरियों पर आ गए हैं. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण ट्रैक पर धरना देने के लिए मजबूर है. तकरीबन 30 घंटे से अधिक हो गए हैं ग्रामीणों की मांग है कि लखीसराय के बड़हिया स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव हो ताकि रसगुल्ले का व्यापार सही तरीके चल सकें. आपको बता दें कि बड़हिया का रसगुल्ला पुरे बिहार में चर्चित है और साथ ही साथ बिहार से सटे झारखंड के कई हिस्सों में यहीं से रसगुल्ला जाता है. यूपी के मिठाई का व्यापार करने के वाले व्यापारी इस इलाके से ही कारीगर को भी ले जाते हैं उनका मानना है कि यहां के लोगों के हाथों में जादू है. यहां आज भी 250 से अधिक दुकान चलती है.
सभी ट्रेनों के ठहराव का मांग कर रहे हैं ग्रामीण
पटना से बड़हिया की दूरी तकरीबन 166 किलोमीटर है. अगर ग्रामीण ट्रेन से जाते हैं तो 2 घंटे के भीतर राजधानी में पहुंच जाएंगे औऱ साथ ही साथ किराया भी मात्र 50 रुपये लगेंगे. जब यहीं दूरी सड़क मार्ग से तय करनी होगी तो लगभग 4-5 घंटे लग जाएंगे. ग्रामीणों को किराया भी 150 रुपये देने पड़ेंगे. वही गाड़ी बुक करके जाते हैं तो 2 हजार किराया देने पड़ते हैं ऐसे में व्यापारियों के लिए ये सौदा घाटे को होता है इसलिए उनकी मांग है कि अगर सभी ट्रेने रुकने लगी तो व्यापार में काफी बढ़ोतरी होगी. इस किराया और समय का बचत होगा.
रेलवे ने कई ट्रेनों के रूट में किए बदलाव
तकरीबन 30 घंट हो गए हैं लेकिन अभी भी ग्रामीण ट्रैक पर बैठे हैं. इसके कारण कई ट्रेनों का रूट में डायवर्ट करने पड़ा हैं. हावड़ा-दिल्ली रूट की दर्जनों ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए हैं. वही स्थानीय प्रशासन ग्रामीणों को समझाने में जुटी है. इस धरने में छात्र भी शामिल है. छात्रों का कहना है कि अगर ट्रेनों की ठहराव होगी तो हम सभी आसानी से पटना से कोचिंग करके अपने घर वापिस आ सकते हैं ऐसे में हमारे घर पर आर्थिक चोट भी नहीं पहुंचेगी. प्रतिदिन हजारों के संख्या में छात्र पटना पढ़ने के लिए जाते हैं.
राजनीति का शिकार हुआ रसगुल्ला
ग्रामीणों का कहना है कि ट्रेनें की ठहराव को लेकर यहां पर राजनीति हो रही है. उनका कहना है कि स्थानीय सांसद और JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नहीं चाहते हैं कि बड़हिया में ट्रेनों का ठहराव हो. उनके कारण ही गंगा सराय हाल्ट पर ट्रेनें रुकती है. सबसे रोचक बात है कि बेगुसराय से सांसद गिरिराज सिंह का घर बड़हिया ही है. फिर भी अपने लोगों के लिए केन्द्रीय मंत्री कुछ नही कर पा रहे हैं.