लेखक: धीरेन्द्र कुमार
मनुष्य की कतार है लंबी, स्वर्ग और नर्क के रास्ते का
बनोगे तुम भी पथिक, इस सुगम और दुर्गम पथ का
अच्छे कर्म के रास्ते में, पृथ्वी लोक पर शूल मिलेंगे
पर घबराना मत अच्छे कर्म के लिए, स्वर्ग के पथ पर फूल मिलेंगे ।
यमलोक में आएगी बारी, सबकी पारी पारी
राजा – रंक, चोर सिपाही, चाहे हो कोई अधिकारी
अच्छे बुरे कर्मों का, होता नहीं कोई फेरबदल
चाहे कितना भी हो किसी का, धन संपति चल अचल ।
चित्रगुप्त लेता नहीं रिश्वत, कर्मों का लेखा सम करता है
अपनी पोथी में सबकी, एक एक पाप पुण्य को भरता है
फिर एक दिन यमलोक में, दरबार लगाया जाएगा
एक एक तुम्हारे कर्मों को, वहां सुनाया जाएगा ।
तुम्हारे अच्छे कर्मों को दरबार में, शान से सुनाया जाएगा
यमलोक के दरबार का मंत्री, ताली भी खूब बजाएगा
सोचकर विधाता खुश होंगे, अच्छा किया तुम्हे बनाकर
मातृभूमि भी धन्य होगी, तृप्त होगी तुम्हें पाकर ।
पर सोच क्या होगा जब, तुम्हारे कुकर्मों को एक-एक सुनाया जाएगा
यम के भरे दरबार में तुमसे, मुंह न छुपाया जाएगा
होता था खुश कुकर्म को कर के, चलो कोई ना देख पाया है
अब एक-एक कर सारा राज. चित्रगप्त ने भरे दरबार में गाया है ।