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phaleria in sasaram
  • दोनों चरणों में 4046 लोगों का लिया गया ब्लड सैंपल
  • 17 से 20 एवं 23 से 27 मई तक दो चरणों मे चलाया गया अभियान

रोहतास पत्रिका/सासाराम: फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में गति लाने एवं जिले को फाइलेरिया मुक्त करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे नाइट ब्लड सर्व के तहत दूसरे चरण के दौरान जिले में चिन्हित 4 प्रखंडों में लक्ष्य से अधिक लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। रोहतास जिले में 17 से 20 मई तक प्रथम चरण के लिए सासाराम, डेहरी, बिक्रमगंज एवं नोखा प्रखंड का चयन किया गया था जहां 2000 लोगों का सैंपल लेने का लक्ष्य रखा गया था अभियान के तहत कुल 2020 लोगों का ब्लड सैंपल संग्रहित किया गया।

वहीं दूसरे चरण में लक्ष्य से अधिक लोगों का रक्त संग्रहित किया गया। जिला स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दूसरे चरण में शिवसागर प्राथमिक स्वास्थ्य अंतर्गत रायपुर चौर में सर्वाधिक 526 लोगों का सैम्पल संग्रहित किया गया। वही करगहर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के करगहर से 500, डिहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत वार्ड संख्या 11 से 500, तिलौथू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत महाराज गंज से 500 लोगों का सैम्पल संग्रहित किया गया।

दोनो चरण में 4000 से अधिक लोगों का लिया गया सैम्पल

फाईलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर चलाये जा नाईट ब्लड सर्वे के दौरान लक्ष्य से अधिक लोगों का सैम्पल संग्रहित किया गया। रोहतास जिले में चार स्थाई व चार अस्थाई प्रखंडो का चयन किया गया था। स्थाई स्थल के तहत प्रथम चरण के लिए सासाराम, नोखा, डिहरी एवं विक्रमगंज प्रखण्ड का चयन किया गया था जबकि अस्थाई स्थल के रूप में शिवसागर, करगहर, डिहरी एवं तिलौथू प्रखण्ड को चयनित किया गया था। प्रत्येक स्थल के लिए 500 लोगों को लक्षित किया गया था, इस तरह से जिले में कुल 4000 लोगों का रक्त संग्रह करने का लक्ष्य रखा गया था। दोनो चरणों मे आठ स्थलों से कुल 4046 लोगों का रक्त संग्रह किया गया है।

नाईट ब्लड सर्वे के दौरान मिला बेहतर परिणाम

एनसीडीओ डॉक्टर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जिले में वेक्टर जनित रोगों पर रोक लगाने, रोग एवं रोगी की पहचान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार के निर्देश पर जिले के आज प्रखंड में लाइट ब्लड सर्वे का कार्य किया गया। इस दौरान रात्रि 8 बजे से लेकर 12 बजे तक लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। एसीएमओ ने बताया कि सर्वे के दौरान जिले में बेहतर परिणाम देखने को मिला। रात्रि में ब्लड सैंपल लेने की प्रक्रिया के बावजूद भी लोग में उत्साह देखा गया और लोगों ने ब्लड सर्वे केंद्र पर पहुंचकर ब्लड जांच करवाया।

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TB Patient in Sasaram
  • पिछले दो महीनों में मिले 87 मरीज, जिले में कुल 1057 इलाजरत

रोहतास पत्रिका/सासाराम: 2025 तक टीवी बीमारी को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से टीबी हारेगा देश जीतेगा के थीम पर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार लगातार अभियान चलाया जा रहा है। टीबी उन्मूलन को लेकर रोहतास जिले में भी लगातार अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिसकी वजह से जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है।

जनवरी एवं फरवरी में जहां 668 जांच के दौरान 227 टीबी के मरीज पाए गए थे। वही पिछले 2 महीनों में 966 लोगों का टीबी जांच किया गया जिसमें महज 87 लोग टीबी के मरीज पाए गए। सासाराम सदर अस्पताल स्थित रोहतास जिला यक्ष्मा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुल 1057 लोगों का टीबी का इलाज किया जा रहा है। जनवरी से अप्रैल 2022 तक 1634 लोगों का जांच किया गया इस दौरान 314 लोग टीबी के संदिग्ध पाए गए। जनवरी में कुल 334 लोगों का जांच हुआ जिसमें 124 लोग टीबी से संक्रमित मिले, जबकि फरवरी ने 334 में से 102, मार्च में 472 में से 42 तथा अप्रैल में 494 में से 45 लोगों टीबी के मरीज पाए गए।

समय पर पहचान से टीबी के मरीज को किया जा सकता है ठीक

सासाराम सदर अस्पताल में टीबी विभाग के सीडीओ डॉ राकेश कुमार ने बताया कि टीबी उन्मूलन को लेकर जिले में लगातार सर्च अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कैंप के माध्यम से लोगों का सैम्पल लेकर टीबी कि जाँच की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत लोगों को बताया जा रहा है कि टीबी एक जानलेवा बीमारी है परंतु इस बीमारी का ससमय इलाज कराने पर पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है। बस जरूरत है तो समय पर टीवी बीमारी की पहचान होना।

सीडीओ ने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी आना, बुखार आना, वजन में लगातार गिरावट आना, भूख न लगना, रात में पसीना आना, खखार में खून आना ये सभी टीबी के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में निशुल्क जांच के माध्यम से टीबी बीमारी का पता लगाया जा सकता हैं।

सभी सुविधाएं निःशुल्क

डॉ राकेश कुमार ने बताया कि सासाराम सदर अस्पताल स्थित यक्ष्मा विभाग में टीबी बीमारी से संबंधित सभी जांच निशुल्क होता है। इसके अलावा टीबी से ग्रसित मरीजों के लिए सभी दवाएं पूरी तरह से निशुल्क दिया जाता है। इसके अतिरिक्त जिन मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में किया जा रहा है उन्हें सरकार द्वारा प्रतिमाह 500 रुपये पौष्टिक आहार के लिए दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह सुविधाएं मरीज को तब तक दिया जाता है जब तक मरीज पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाता है और उसका इलाज बंद नहीं हो जाता है।

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Vaccination in Rohtas

रोहतास पत्रिका/सासाराम: शहरी क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण अब और सशक्त होगा। इसको लेकर राज्य सरकार ने सभी जिले को 20 नए एएनएम प्रदान किया है। इसी के तहत रोहतास जिले में भी मिली 20 नए एएनएम को सासाराम सदर अस्पताल के पारा मेडिकल के छत्रवास में दो दिवसीय प्रशिक्षण के तहत उन्हें प्रशिक्षित किया गया। दो दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करके ये एएनएम शहरी क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण अभियान को सफल बनाएंगी। सभी नवनियुक्त एएनएम को बेहतर प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य स्तर से आए राज्य टीकाकरण सलाहकार रणवीर सिंह द्वारा सभी एएनएम को टीकाकरण के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

टीकाकरण अभियान होगा और भी सुदृढ़

टीकाकरण सलाहकार रणवीर सिंह ने इंजेक्शन सामग्री से लेकर इंजेक्शन देने की प्रक्रिया को बड़े ही सरल तरीके एवं विस्तारपूर्वक बताया। इसके अलावा टीकाकरण अभियान को किस तरह से सुदृढ़ और बेहतर बनाया जाए इसकी भी उन्होंने जानकारी दिया। साथ ही साथ उन्होंने टीकाकरण की समय सारणी, स्थान, मार्ग, खुराक, लाभार्थी, शीत श्रृंखला पूर्ण टीकाकरण, संपूर्ण टीकाकरण के बारे में विस्तार पूर्वक सभी नवनियुक्त एएनएम को प्रशिक्षण के दौरान बताया। वही प्रशिक्षण में मौजूद यूनिसेफ के एसएमसी असजद इकबाल सागर ने नियमित टीकाकरण के अनर्गत सभी टिका के अतिरिक्त सर्वे, ड्यू लिस्ट एच एम आई ई एस, टेली शीट, शीत श्रृंखला, चार महवपूर्ण संदेश तथा सोशल मोबलाइजेशन और संचार योजनाओ से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया।

तीनों अनुमंडल के शहरी क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण होगा अधिक सुदृढ़: डीआईओ

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर आरकेपी साहू ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से नियमित टीकाकरण काफी प्रभावित रहा है। क्योंकि अधिकांश स्वास्थ्य कर्मी कोरोना संक्रमण के कार्य में लगे हुए हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होने के बाद नियमित टीकाकरण अभियान में तेजी आई है और बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा हैं। उन्होंने कहा कि नियमित टीकाकरण को सुचारू बनाने के उद्देश्य से ही राज्य सरकार द्वारा 20 नवनियुक्त महिला एएनएम की प्रतिनियुक्ति की गई है।

एएनएम सासाराम, डिहरी एवं बिक्रमगंज अनुमंडल के शहरी क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ बनाने में सहयोग करेंगी। उन्होंने कहा कि टीकाकरण को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए उन्हें राज्य सरकार द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। प्रशिक्षण के बाद से सभी प्रशिक्षित एएनएम अपने अपने कार्यक्षेत्र में टीकाकरण करेंगी।


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rtpcr lab in sadar hospital sasaram

रोहतास पत्रिका/सासाराम: कोरोना संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार लगातार सरकारी अस्पतालों की कायाकल्प करने में लगी है। जिला अस्पताल से लेकर अनुमंडल अस्पताल तक को सभी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इसी के तहत रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित सदर अस्पताल में कोविड जांच के लिए आरटीपीसीआर लैब से सुसज्जित किया जा रहा है।

 

अब जिला स्वास्थ्य समिति को आरटीपीसीआर जांच के लिए सैम्पल को जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कॉलेज एन्ड हॉस्पिटल भेजने की जरुरत नही होगी। अब सभी आआरटीपीसीआर जांच सदर अस्पताल सासाराम में ही किया जाएगा। जिला स्वास्थ समिति से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल के शुरुआती दौर से लेकर अब तक जिले में कुल 6 लाख बाइस हज़ार 22 हज़ार 542 लोगों का आरटीपीसीआर के माध्यम से कोविड जांच किया गया जिसमें 23576 सैंपल की जांच पटना स्थित आईजीआईएमएस में कराया गया जबकि 5 लाख 98 हज़ार 966 सैंपल की जांच जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में कराया गया है।

आरटीपीसीआर लैब से जांच में आएगी तेज़ी

सासाराम सदर अस्पताल को अपना आरटीपीसीआर जांच लैब होने से जांच प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। जहां वर्तमान में आरटीपीसीआर का जांच परिणाम 5 से 6 दिनों में मिलता है, वही अब आरटीपीसीआर का परिणाम 24 से 48 घंटों के भीतर लोगों को प्राप्त हो जाएगा। सासाराम के सरकारी अस्पताल में यह आरटीपीसीआर जांच पूरी तरह से निशुल्क होगा।

टेक्नीशियन को लेकर हुई कॉउंसललिंग

आरटीपीसीआर लैब को संचालित करने के लिए मिक्रोबियोलॉजिस्ट टेक्नीशियन की आवश्यकता होती है। इसको लेकर बुधवार को चयन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई। चयन प्रक्रिया के दौरान मिक्रोबियोलॉजिस्ट टेक्नीशियन के लिए चार लोग पहुँचे थे। चयन प्रक्रिया के दौरान टेक्नीशियन के लिए अहर्ता रखने वाले एक व्यक्ति का चयन भी कर लिया गया है।

अपना लैब होने से होगी सुविधा: सीएस

सिविल सर्जन डॉ अखिलेश कुमार ने बताया कि आरटीपीसीआर लैब के लिए मशीन के साथ साथ सभी आवश्यक सामग्री प्राप्त हो चुकी है। इसके लिए लैब का इंफ्रास्ट्रक्चर भी लगभग तैयार हो गया है। टेक्नीशियन का चयन की प्रक्रिया जिला स्वास्थ्य समिति से पूरा करके अप्रूवल के लिए पटना भेज दिया गया है, जैसे ही टेक्निशियन का अप्रूवल फाइनल होता है वैसे ही सदर अस्पताल में आरटीपीसीआर जांच की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

सिविल सर्जन ने बताया कि आरटीपीसीआर लैब खुलने से सदर अस्पताल में एक और सुविधा मुहैया हो जाएगी। अब जिले के सभी आरटीपीसीआर जांच सासाराम सदर अस्पताल में होगा। इससे जांच परिणाम में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिश किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में लोगों को सभी सुविधाएं उपलब्ध हो इसको लेकर सरकार तत्पर है और जिला स्वास्थ समिति भी लगातार सभी सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।

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child care

रोहतास पत्रिका/सासाराम: प्रसव के बाद नवजात के बेहतर देखभाल की जरूरत बढ़ जाती है। संस्थागत प्रसव के मामलों में शुरूआती दो दिनों तक माँ और नवजात का ख्याल अस्पताल में रखा जाता है। गृह प्रसव के मामलों में पहले दिन से ही नवजात को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है। शिशु जन्म के शुरूआती 42 दिन अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान उचित देखभाल के आभाव में शिशु के मृत्यु की संभावना अधिक होती है। इसको ध्यान में रखते हुए होम बेस्ड न्यूज बर्न केयर (एचबीएनसी) यानि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती है।

गृह आधारित नवजात देखभाल पर अधिक ध्यान

आशाओं द्वारा किए जा रहे गृह आधारित नवजात देखभाल पर गृह भ्रमण के दौरान नवजातों में होने वाली समस्याओं की अच्छे से पहचान कर एवं जरुरत पड़ने पर उन्हें रेफर भी किया जा रहा है। आशाएं गृह भ्रमण के दौरान ना सिर्फ बच्चों में खतरे के संकेतों की पहचान करती है बल्कि माताओं को आवश्यक नवजात देखभाल के विषय में जानकारी भी देती हैं।

कार्यक्रम का यह है उद्देश्य

  • सभी नवजात शिशुओं को अनिवार्य नवजात शिशु देखभाल सुविधाएँ उपलब्ध कराना एवं जटिलताओं से बचाना।
  • समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजातों एवं जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर उनकी विशेष देखभाल करना।
  • नवजात शिशु की बीमारी का शीघ्र पता कर समुचित देखभाल करना एवं रेफर करना।
  • परिवार को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना एवं सहयोग करना।
  • माँ के अंदर अपने नवजात स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास एवं दक्षता को विकसित करना।

संस्थागत प्रसव में 6 एवं गृह प्रसव में 7 भ्रमण

एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशाएं संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में गृह भ्रमण कर नवजात शिशु की देखभाल करती है। संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार गृह भ्रमण करती है। (जन्म के 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर)। गृह प्रसव की स्थिति में 7 बार गृह भ्रमण करती है (जन्म के 1, 3, 7,14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर)।

इन लक्षणों को नहीं करें अनदेखा

नवजात में खतरे के संकेतों को समझना जरुरी होता है। खतरे को जानकर तुरंत शिशु को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें।

  • शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो
  • शिशु स्तनपान करने में असमर्थ हो
  • शरीर अधिक गर्म या अधिक ठंडा हो
  • शरीर सुस्त हो जाए
  • शरीर में होने वाली हलचल में अचानक कमी आ जाए

 

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