अगली खबर

tb
  • टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र लोगों को कर रहा है प्रेरित

रोहतास पत्रिका/सासाराम: टीबी बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए लगातार उन्मूलन अभियान चलाए जा रहे हैं। साथ ही साथ टीबी बीमारी को 2025 तक जड़ से मिटाने के लिए आम नागरिकों को अहम भूमिका निभाने के लिए मौका भी दिया जा रहा है। टीबी से ग्रसित मरीजों के लिए सामान्य नागरिक, गैर सरकारी संस्थान, जनप्रतिनिधि सहित अन्य लोगों को निक्षय मित्र बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। निक्षय मित्र बन कर टीबी मरीजों को सहायता करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लोगों से अपील कर रहा है। ताकि जिले में टीबी से ग्रसित मरीजों को मदद मिल सके।

निक्षय मित्र टीबी मरीजों को पोषण के साथ साथ रोरगार के लिए अवसर उपलब्ध करा सकते हैं। विदित हो कि रोहतास जिले में 1300 के आसपास टीबी के मरीज इलाजरत हैं । वहीं टीबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को निश्चय पोषण योजना के तहत प्रत्येक माह 500 रुपये सहायता राशि प्रदान की जाती है। टीबी मरीजों को और अधिक सुविधा और लाभ मिल सके तथा उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके इसके लिए निक्षय मित्र योजना की शुरुआत की गयी है।

निक्षय मित्र बनने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र से कर सकते हैं सम्पर्क

निक्षय मित्र बनने के लिए अपने जिला यक्ष्मा केंद से संपर्क किया जा सकता है। निक्षय मित्र बनने के लिए communitysupport.nikshay.in पर लॉगिन कर प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर क्लिक कर निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर क्लिक कर कर अपनी पूरी जानकारी देकर इस अभियान से जुड़ा जा सकता है। इसके अलावा इस निक्षय हेल्प लाइन नंबर 1800116666 पर कॉल कर के विस्तृत जानकारी ली जा सकती है। वहीं निक्षय मित्र बनने के लिए टीबी से ग्रसित मरीजों की सहमति लेकर पोषण के लिए उन्हें सहायता राशि उपलब्ध करानी होगी।

निक्षय मित्र बनने से टीबी मरीजों में जागेगा आत्मविश्वास

सीडीओ सह जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार ने बताया कि टीबी मरीजों को सरकार प्रति माह सहायता राशि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा सरकार ने मरीजों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निक्षय मित्र योजना की शुरुआत की है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति निक्षय मित्र बन कर टीबी संक्रमित मरीजों को सहायता पहुंचा सकता है।

उन्होंने बताया कि एक निक्षय मित्र अपनी सहूलियत के अनुसार एक से अधिक टीबी मरीजों को गोद ले सकते हैं। टीबी मरीजों को गोद लेने के बाद निक्षय मित्र प्रत्येक माह हर मरीज को पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये राशि प्रत्येक माह प्रदान कर सकते हैं। यह राशि कम से कम 6 माह तक प्रदान करना है। सीडीओ ने कहा कि टीबी मरीजों के लिए आम लोगों को आगे आने से उनमें आत्मविश्वास की भावना जगेगी।

अगली खबर

Dengue in CIty
  • अपर निदेशक-सह-राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम ने पत्र जारी कर दिए निर्देश
  • रैपिड डायग्नोस्टिक किट जांच से संदिग्ध रोगियों की होती है पहचान
  • समाज में अनावश्यक भय को रोकने को लेकर जारी किये गए निर्देश

रोहतास पत्रिका/सासाराम: आजकल डेंगू के फैलाव एवं इससे लोगों के ग्रसित होने की ख़बरें प्रायः देखने को मिल रही हैं। ऐसा पाया गया है कि निजी अस्पतालों एवं जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट से एनएस 1 घनात्मक परिणाम आने पर उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जाता है। रैपिड डायग्नोस्टिक किट जांच से संदिग्ध मरीज चिह्नित किये जा सकते हैं किन्तु यह जांच रोग को संपुष्ट नहीं करता। समाचार पत्रों में इसकी सूचना छपने पर समाज में अनावश्यक भय व्याप्त हो जाता है।

अपर निदेशक-सह-राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम ने पत्र जारी कर दिए निर्देश

स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ विनय कुमार शर्मा ने राज्य के सभी सिविल सर्जन को डेंगू की जांच ज़िले के निजी अस्पताल एवं जांच घरों में कराने से संबंधित दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में बताया गया है कि निजी अस्पतालों एवं जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट (आरडीटी किट) से करने के बाद परिणाम आते ही उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा डेंगू की आधिकारिक रूप से जांच की प्रक्रिया केवल एलिसा एनएस1 एवं आईजीएम किट से करने का निर्देश है।

डेंगू से बचाव के लिए शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर

चिकित्सकों के अनुसार वेक्टर जनित रोगों में वे सभी रोग आ जाते हैं जो मच्छर, मक्खी या कीट के काटने से होते हैं, जैसे: डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्क्रब टायफस या लेप्टोंस्पायरोसिस आदि। मलेरिया एवं डेंगू या अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी कर सकते हैं। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर है। घर के सभी कमरों की सफ़ाई के साथ ही टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज में पानी को स्थिर नहीं होने देना चाहिए। गमला, फूलदान का पानी एक दिन के अंतराल पर बदलना जरूरी है।

बरसात के दिनों में जलजमाव के कारण बढ़ता है मच्छरों का प्रकोप

बरसात के मौसम में जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप काफ़ी बढ़ जाता है। इस कारण मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ज़िले में मच्छरों से बचाव करने एवं सुरक्षित रहने के लिए मीडिया एवं सोशल मीडिया साइट्स के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है। मच्छरों से होने वाली बीमारियों में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया आदि प्रमुख हैं। वहीं मच्छरों के काटने से सबसे अधिक मामले मलेरिया और डेंगू के ही आते हैं। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर सतर्कता बरतना जरूरी है। वहीं मॉल एवं दुकान चलाने वाले लोग भी खाली जगहों पर रखे डिब्बे और कार्टन में पानी जमा नहीं होने दें।

अगली खबर

vidyushi lata and kanchan
  • नवजातों के माता-पिता के चेहरे पर खुशी देख खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं विदुषी लता व कंचन

रोहतास पत्रिका/सासाराम: चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने में जितना महत्व एक मुख्य चिकित्सक का होता उतना ही स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत नर्स, एएनएम व जीएनएम आदि की भूमिका भी होती है। उनके अथक प्रयास से ही अस्पताल में भर्ती मरीज जल्द स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटते क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉक्टर के उपचार के बाद नर्स, एएनएम और जीएनएम ही इनकी पूर्ण रूप से देखभाल करती हैं। वहीं एसएनसीयू की बात करें तो नर्स एसएनसीयू में भर्ती नवजातों के लिए एक मां से भी ज्यादा दायित्व निभाती हैं।

नाजुक हालत में जब नवजात एसएनसीयू में भर्ती होते हैं तो मुख्य चिकित्सक के बाद सारी जिम्मेवारी एक नर्स की हो जाती और वह नर्स नवजातों के लिए मां की भूमिका निभाती हैं। सासाराम के सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में वर्ष 2014 से ही कार्यरत जीएनएम कुमारी बिदुषी लता एवं एएनएम कंचन कुमारी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल करते हुए उन्हें स्वस्थ्य बनाने का प्रयास कर रही हैं ।

पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों को करती हैं पूरा

एसएनसीयू में कार्यरत कुमारी विदुषी लता ने बताया कि वह वर्ष 2014 से इस एसएनसीयू में काम कर रही और गंभीर हालत में एसएनसीयू में भर्ती बच्चों की देखभाल पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करती हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर अधिकांश गरीब तबके के लोग अपने बच्चों को भर्ती करने आते हैं । एक मां के लिए उसका बच्चा कितना मायने रखता यह हमें बखूबी पता है।

उन्होंने बताया कि कभी-कभी कुछ नवजात इस हालत में आते हैं कि उसकी जिंदगी के बारे में कहना बड़ा कठिन होता और उम्मीद खो चुके माता पिता एसएनसीयू में एक उम्मीद की किरण लेकर आते हैं । मुख्य चिकित्सकों का इलाज और हम लोगों द्वारा 24 घंटे निगरानी की वजह से बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ होकर यहां से जाता है। बच्चे के माता पिता के चेहरे पर मुस्कान देख कर अपने कर्तव्यों के प्रति हम लोग खुद गौरवान्वित महसूस करते हैं।

कोरोना काल ने दिया नया अनुभव

सदर अस्पताल सासाराम के एसएनसीयू में ही कार्यरत एएनएम कंचन कुमारी भी नवजात शिशुओं के माता पिता के चेहरे पर मुस्कान ला कर खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं। उन्होंने बताया कि जब एक मां रोते हुए अपने नवजात को लेकर आती और यहां से खुशी खुशी जब अपने बच्चे को लेकर जाती तो उस समय उन्हें जो खुशी मिलती है, उसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में नवजातों की जिंदगी बचाने की जो जिम्मेवारी मिली वो जिंदगी का एक बेहतरीन अनुभव रहा। क्योंकि संक्रमणकाल में खुद से ज्यादा बच्चों को संक्रमण से बचाने की जिम्मेवारी थी। उस जिम्मेवारी को बेहतर तरीके से निर्वाह किया गया।

अगली खबर

  • पिछले तीन महीने में 8 महिलाओं का किया जा चुका है सफल प्रसव
  • जिलाधिकारी के आदेश पर जून महीने में सासाराम पीएचसी के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में किया गया था हस्तानांतरण

रोहतास पत्रिका/सासाराम: सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। लोगों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। अनुमंडल अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भी बेहतर किया जा रहा है। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ दूरदराज एवं सुदूरवर्ती इलाकों में रह रहे लोगों को भी स्वास्थ्य सुविधाओं बेहतर का लाभ मिल सके। इसके लिए भी सरकार लगातार कई कदम उठा रही है।

इधर रोहतास जिले में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर किया जा रहा और इसका परिणाम सकारात्मक भी दिखाई दे रहा है। लोगों का सरकारी अस्पताल के प्रति विश्वास बढ़ा है। सरकारी अस्पतालों में बेहतर संरचना और इलाज की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काफी बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा है। उन्ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से एक है सासाराम प्रखंड के दरीगांव स्थित सासाराम अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। जहां आज बेहतर सुविधाओं की वजह से सुदूरवर्ती इलाके के लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

जिलाधकारी की पहल से सुदृण हुई व्यवस्था

दरिगांव पंचायत कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी हुआ करता था। इस वजह से विकास के कार्यों में कई समस्या आ रही थी। नक्सली गतिविधियां खत्म होने के बावजूद भी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बहाल नहीं की जा सकी थी, परंतु जून महीने में रोहतास जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार के दरिगाँव पंचायत के औचक निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को देखते हुए सासाराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दरिगांव स्थानान्तरण करने का निर्देश दिया गया।

इसके साथ ही महिला व पुरुष डॉक्टर के अलावा नर्स एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी सुचारू करने का भी आदेश दिया गया। जिलाधिकारी के आदेश का पालन करते हुए सिविल सर्जन डॉ के. एन. तिवारी ने तत्काल सासाराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दरिगाँव स्थानान्तरण किया। उसके बाद वहां कई सेवाओं को सुचारू किया गया।

8 जुलाई को हुआ पहला संस्थागत प्रसव

दरिगांव पंचायत में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा बहाल करने के बाद 8 जुलाई 2022 को परिसर में पहली बार नवजात की किलकारी गूंजी। करसेरुआं पंचायत के सकाश गांव निवासी सोनू कुमार की पत्नी रेशमा देवी ने एक बच्ची को जन्म दिया। आजादी के बाद पहली बार इस दुर्गम क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव सम्पन्न होने से ग्रामीणों में खुशी का माहौल दिखा और लोगों का विश्वास सरकारी अस्पताल के प्रति और ज्यादा बढ़ा। उक्त अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में तीन महीनों के अंदर 7 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराया जा चुका है। जिसमे तीन सफल प्रसव सितम्बर माह में कराया गया।

ओपीडी एवं इमरजेंसी सेवा बहाल

सासाराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दरिगांव स्थनान्तरित करने के बाद वहां सभी सेवाओं को बहाल कर दिया गया है। इसकी जानकारी देते हुए रोहतास सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि उक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी सेवा के अलावा इमरजेंसी सेवा पूरी तरह से चालू कर दिया गया है । नियमित टीकाकरण भी हो रहा है। इसके अलावा वहां एंबुलेंस सुविधा भी मुहैया करा दी गई है।

अगली खबर

psi
  • शहरी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने को लेकर पीएसआई इंडिया ने किया कार्यशाला का आयोजन

रोहतास पत्रिका/सासाराम: शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से गुरुवार को एक निजी होटल में पीएसआई इंडिया के तत्वावधान में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। उक्त कार्यशाला में शहरी क्षेत्रों में खासकर स्लम बस्तियों में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने और उसके लिए सुझाव लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस विभाग, मुंसिपल कारपोरेशन, सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी सहयोगी संस्थाओं को भी आमंत्रित किया गया था।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि रोहतास के सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी के अलावा डीपीएम अजय कुमार, डीआईओ डॉ आरकेपी साहू, सहायक नगर आयुक्त सासाराम, एसीएमओ डॉ अशोक कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

शहरी स्वाथ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए एमओआईसी व अशाकर्मी की होगी नियुक्ति: सिविल सर्जन

इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोहतास जिला बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। कोरोना टीकाकरण हो या फिर रूटीन टीकाकरण या फिर अन्य कार्यक्रम सभी में जिला स्वास्थ्य समिति बेहतर करने में लगा हुआ है। सिविल सर्जन ने कहा कि जिला स्वास्थ्य समिति ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर प्रयासरत है।

सासाराम प्रखंड के शहरी क्षेत्रों में स्थित 5 उप स्वास्थ्य केंद्रों में से 3 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर अभी भी एमओआईसी मौजूद नहीं है, परंतु सभी केंद्रों पर एमओआईसी की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में आशा कर्मियों की भी कमी देखी जा रही है। उस पर पर जिला स्वास्थ्य समिति लगातार कार्य कर रहा है और जल्द से जल्द आशा कर्मियों की नियुक्ति कर स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर किया जाएगा।

स्वास्थ्य सुविधाओं को लोगों तक पहुँचना मुख्य मकसद

वहीं पीएसआई इंडिया के पटना से आए एसआईएल विवेक मालवीय ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोहतास जिले का स्थान सहित कई अन्य महत्वपूर्ण आंकड़ों पर चर्चा की । उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी कुछ ऐसे स्थान हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करने की जरूरत है। स्वास्थ्य सुविधाएं तो लोगों तक पहुंच रही परंतु लोग उस सुविधाओं का इस्तेमाल भरपूर नहीं कर पा रहे हैं ।

जिसमें कहीं ना कहीं जागरूकता की कमी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि लोगों को जागरूक करके स्वास्थ्य से जुड़ी सभी सुविधाओं को उपयोग करवाना है। इसके लिए स्वास्थ विभाग के साथ सहयोगी संस्थाएं भी अपनी अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा की आज भी शहरी क्षेत्रों में महिलाएं या युवतियां मासिक धर्म, परिवार नियोजन के संसाधनों पर खुल कर बात नही कर पा रही हैं जिस कारण वे कई सुविधाओं को लेने से वंचित हो जा रही हैं। वहीं परिवार नियोजन को लेकर पुरुषों में भी चुप्पी देखी जाती है। इस सोच को बदलना है ताकि लोग स्वास्थ्य की सुविधाओं को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करें।

कार्यक्रम में पीएसआई इंडिया के सीआईएल गया के अजय कुमार ,अर्चना मिश्रा, सीआईएल रोहतास शैलेंद्र तिवारी , डीटीएल केयर इंडिया के दिलीप मिश्रा, फील्ड प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर पीएसआई बेतिया की प्रेमाकुमारी के अलावा डिस्ट्रिक्ट पब्लिक हेल्थ ऑफिसर केयर इंडिया के अरविंद गोस्वामी, डिस्ट्रिक हेल्थ कंसलटेंट सासाराम अर्बन के तारिक अनवर, यूनिसेफ के एसएमसी असजद इकबाल सागर, आरबीएसके जिला कोर्डिनेटर डॉ नंद किशोर चतुर्वेदी, पिरामल की तान्या शर्मा, शिवांगी पटेल सहित अन्य सहयोगी संस्थानों के जिला समन्वयक मौजूद रहे।


यह भी पढ़ें:

ताज़ा खबरें