रोहतास पत्रिका/सासाराम: रोहतास में एक बार फिर विजिलेंस टीम द्वारा कार्यालय का सहायक लिपिक को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी कब हुई जब सहायक लिपिक किसी काम को करने के आवाज में घूस लेने चाय दुकान पहुंचा था। मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल सासाराम स्थित सीएस कार्यालय में पोस्टेड लिपिक संतोष कुमार को निगरानी विभाग द्वारा 55000 रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है।
शिकायत के बाद गुप्त सूचना के आधार पर पहुंचे निगरानी विभाग के टीम द्वारा गौरक्षिणी स्थित चाय दुकान से लिपिक को गिरफ्तार किया है। हालांकि किस काम को करने के लिए पैसों का डिमांड किया था इसका अब तक खुलासा नहीं हो पाया है। फिलहाल लिपिक को गिरफ्तार करने के बाद निगरानी टीम पटना के लिए रवाना हो गई।
क्या कहते है सिविल सर्जन
इस संदर्भ में रोहतास सिविल सर्जन डॉक्टर के एन तिवारी ने बताया कि उन्हें निगरानी के डीएसपी ने इस बात की सूचना दिया है। उन्होंने बताया कि निगरानी विभाग के डीएसपी पवन कुमार ने फोन कर बताया कि 55 हजार कैश के साथ उनके एक कर्मी को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार कर्मी का नाम संतोष कुमार है और वो लिपिक के रूप में सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यरत है।
2021 में भी एक क्लर्क हुआ था गिरफ्तार
दिसंबर 2021 में सिविल सर्जन कार्यालय में ही कार्यरत राजकृष्ण नाम के एक क्लर्क को 10 हजार रिश्वत लेते हुए निगरानी विभाग ने गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से सदर अस्पताल के कर्मियों के बीच खौफ हो गया था। हालांकि कुछ समय बीत जाने के बाद स्थिति सामान्य हो गई और पैसों का खेल फिर से शुरू हो गया। तीन वर्षों में हुए दो गिरफ़्तारी से साफ जाहीर होता है की सिविल सर्जन कार्यालय रिश्वतखोरी का अड्डा बना हुआ है।
अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर से महिना फिक्स
रोहतास जिले में कई ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर,पैथोलॉजी जांच घर, मेडिकल स्टोर एवं अस्पताल है जो अवैध रूप से संचालित होते है। अवैध केंद्रों के संचालनकर्ता द्वारा सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित कर्मियों को हर महीने मोटी रकम पहुचाई जाती है। नाम नहीं लिखने के शर्त पर सदर अस्पताल के ही एक कर्मी ने बताया कि सबसे महिना फिक्स है। अल्ट्रासाउंड सेंटर से 5-7 हजार, पैथोलॉजी जांच घर से 2-3 हजार और मेडिकल स्टोर से लगभग 500-1000 महिना लिया जाता है।