रोहतास पत्रिका/सासाराम:
कोरोना काल में जिला स्वास्थ विभाग एक ऐसा विभाग रहा जहां पर कार्यरत एक अधिकारी से लेकर कर्मियों ने मानवता का परिचय देते हुए अपने ड्यूटी को कर्तव्य समझकर पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ लोगों की सेवा की और उनकी जान बचाने में हर संभव प्रयास करते रहे। स्वास्थ विभाग में कार्यरत एम्बुलेंस कर्मी की भूमिका को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
जहां लोग संक्रमित मरीज को छूने से डरते थे खासकर संक्रमित मरीज के परिजन अपने घर के संक्रमित व्यक्ति को छूने से डरते थे वही एंबुलेंस कर्मी अपने तथा अपने परिवार की परवाह किए बिना ही संक्रमित मरीज को घर से अस्पताल अस्पताल से घर तक पहुंचाने का कार्य करते थे। साथ ही साथ कोरोना से मरे व्यक्तियों के शव को भी अपने हाथों से उठा कर बॉडी को भी डिस्पोज करने में पीछे नही हटें। एंबुलेंस कर्मियों ने कोरोना काल के दौरान किसी के लिए कभी बाप तो कभी बेटे के रूप में अपने कार्यों का निर्वाह करते हुए संक्रमित मरीज को अस्पताल या मेरे हुए व्यक्ति का दाह संस्कार किया।
संक्रमित व शव के लिए अलग-अलग थी टीम
सासाराम सदर अस्पताल में एंबुलेंस कर्मियों की अलग अलग टीम थी जो संक्रमित मरीज को घर से अस्पताल लाने और अस्पताल से घर ले जाने के साथ-साथ संक्रमण से मरे व्यक्तियों को श्मशान घाट तक ले जाकर दाह संस्कार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उसमें ड्राइवर जयप्रकाश, प्रमोद कुमार सिंह, कमलेश कुमार सिंह, संतोष कुमार यादव, अलख यादव, अरुण सिंह, जगजीत सिंह, रणजीत कुमार सिंह, संतोष सिंह, रतन कुमार, मिथिलेश कुमार के अलावा ईएमटी राजीव सिंह, चंदन कुमार, इंद्रजीत कुमार, सुनील कुमार, धनजी कुमार, अरविंद कुमार, समीर पटेल शामिल थे।
स्वयं से ऊपर सेवाभाव को रख कर ड्यूटी पर रहे तैनात
टीम में शामिल एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि संक्रमण काल एक ऐसा काल था जब आमलोग हम लोगों से भी डरते थे। संक्रमण काल के दौरान सभी दुकानें बंद रहती थी ऐसे में मरीज को लाने और पहुंचाने के साथ-साथ शव का दाह संस्कार करने के दौरान भूख लगती थी तो खाने को कुछ नहीं मिलते थे ऐसे में बिस्कुट और पानी पर रहकर हम लोगों ने अपने दायित्व को पूरा किया। एंबुलेंस कर्मियों ने बताया कि कभी-कभी तो ऐसा भी हुआ की संक्रमण से मरे व्यक्ति के परिजन शव को देखने व छूने तक नहीं आते थे। हम लोगों को स्वयं अपने हाथों से शव का अंतिम संस्कार करना पढ़ता था। एंबुलेंस कर्मी बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान हमने जो कार्य किया उससे काफी खुशी मिलती है, हालांकि डर तो लगता था परंतु अपने डर को दूर करते हुए लोगो की सेवा के प्रति खुद को समर्पित किया।
24 घण्टे थे तैनात: नीरज कुमार सिंह
एंबुलेंस कंट्रोल ऑफीसर नीरज कुमार सिंह ने बताया, हमारे जिले में जितने भी एंबुलेंसकर्मी है सभी का कोरोना काल मे काफी योगदान रहा है। हम लोग जब 24 घण्टे अलर्ट मोड में रहते थे, जैसे ही कुछ सूचना मिलती तुरंत एंबुलेंस को वहां भेजा जाता था। हम लोगों को खाने की भी सुध नहीं रहती थी। नीरज कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य कर्मी लोगों की सेवा में हमेशा लगे रहे और मानवता के काम आए।